चंद्र ग्रहण क्या है?
चंद्र ग्रहण एक बेहद खूबसूरत और वैज्ञानिक दृष्टि से रोचक खगोलीय घटना है, जो केवल पूर्णिमा की रात को ही घटित होती है। जब सूरज, पृथ्वी और चाँद एक सीध में आ जाते हैं और पृथ्वी बीच में होती है, तब पृथ्वी की छाया चाँद पर पड़ती है। इस स्थिति को चंद्र ग्रहण कहते हैं।
पृथ्वी की छाया दो भागों में बंटी होती है:
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गहन छाया (Umbra): जहाँ सूर्य का प्रकाश पूरी तरह अवरुद्ध हो जाता है।
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आंशिक छाया (Penumbra): यहाँ सूर्य का प्रकाश आंशिक रूप से चाँद पर पड़ता है।
जब चाँद पूरी तरह गहन छाया में आ जाता है, तब पूर्ण चंद्रग्रहण होता है, जबकि अगर केवल कुछ हिस्सा आता है, तो आंशिक चंद्रग्रहण कहलाता है।
चंद्र ग्रहण के प्रकार
1. पूर्ण चंद्रग्रहण (Total Lunar Eclipse)
जब चाँद पूरी तरह पृथ्वी की गहन छाया से होकर गुजरता है। इस दौरान चाँद का रंग तांबा या लाल भी हो सकता है, जिसे ब्लड मून कहते हैं।
2. आंशिक चंद्रग्रहण (Partial Lunar Eclipse)
इसमें चाँद का केवल कुछ हिस्सा ही पृथ्वी की गहन छाया से गुजरता है। बाकी हिस्सा सामान्य प्रकाश में दिखाई देता है।
3. उपछायीक (Penumbral Lunar Eclipse)
इसमें चाँद केवल पृथ्वी की हल्की छाया (Penumbra) से होकर गुजरता है, जिससे उसकी चमक थोड़ी मंद हो जाती है, पर पूर्ण ग्रहण जैसा प्रभाव नहीं दिखता।
चंद्र ग्रहण बनने की वैज्ञानिक प्रक्रिया
इस घटना में तीनों खगोलीय पिंड—सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा—पूरी तरह एक सीध में होने चाहिए।
जब पृथ्वी बीच में होती है, तो सूर्य का सीधा प्रकाश चाँद तक नहीं पहुँचता। केवल पृथ्वी के वायुमंडल से होकर आने वाली कुछ रोशनी ही चाँद तक पहुँचना संभव होता है।
यह प्रक्रिया हर साल करीब दो से तीन बार प्राकृतिक रूप से घटती है।
ब्लड मून क्या है और क्यों बनता है?
"ब्लड मून" यानी गहरा लाल या ताँबे के रंग जैसा चाँद, जो पूर्ण चंद्रग्रहण के दौरान दिखाई देता है।
ब्लड मून के वैज्ञानिक कारण को समझें:
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जब पृथ्वी अपनी छाया डालती है, सूर्य का सीधा प्रकाश चाँद से कट जाता है।
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पृथ्वी का वातावरण एक फिल्टर की तरह काम करता है।
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सूर्य की लाल/नारंगी रोशनी का वेवलेंथ लंबा होता है, जो वातावरण में कम बिखरती है और मुड़कर चाँद तक पहुँचती है।
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नतीजन, चाँद लालिमा लिए दिखता है।
यह वही प्रक्रिया है जिसके चलते सूर्योदय और सूर्यास्त के समय आसमान लाल और नारंगी दिखाई देता है।
क्या ब्लड मून हर बार होता है?
नहीं, ब्लड मून केवल पूर्ण चंद्रग्रहण के दौरान ही दिखाई देता है, और वह भी तब जब पृथ्वी के वातावरण की परिस्थितियाँ अनुकूल हों।
वातावरण में धूल, प्रदूषण, धुआँ आदि जितना अधिक होगा, चाँद उतना ही गहरा लाल या तांबा जैसा दिखाई देगा।ब्लड मून को देखने का अवसर साल में सामान्यतः दो से तीन बार ही मिलता है, परंतु हर बार इसकी लालिमा एक जैसी नहीं होती।
चंद्र ग्रहण की अवधि और दृश्यता
पूर्ण चंद्रग्रहण कई घंटों तक चल सकता है। हाल में 2025 का चंद्रग्रहण 82 मिनट तक पूर्णता में रहा, जिसमें ब्लड मून का नजारा पूरे भारत सहित एशिया, यूरोप और ऑस्ट्रेलिया में दिखा।
चंद्र ग्रहण सूरजग्रहण के मुकाबले अधिक देर तक चलता है और इसे नंगी आँखों से बिना किसी जोखिम के देखा जा सकता है।
चंद्र ग्रहण देखने के लिए जरूरी बातें
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चंद्रग्रहण को देखने के लिए किसी सुरक्षा साधन, जैसे चश्मे, की आवश्यकता नहीं है।
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खुले स्थान पर जाएँ, जहाँ प्रकाश प्रदूषण कम हो, तो अधिक स्पष्टता से दिखेगा।
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इसे टेलीस्कोप या दूरबीन से देखने पर अलग-अलग चरण साफ नजर आते हैं और यह अनुभव और अद्भुत बन जाता है।
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फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी के लिए ट्राइपॉड का प्रयोग करें।
चंद्र ग्रहण के चरण
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चाँद उपछाया में प्रवेश करता है: चमक धीमी होती है।
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चाँद गहन छाया में जाता है: एक किनारा काला पड़ने लगता है।
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चाँद पूरी तरह गहन छाया में आता है: ब्लड मून बनता है।
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चाँद फिर से उज्ज्वल होना शुरू होता है।
यह पूरी प्रक्रिया कई घंटों और अलग-अलग चरणों में होती है।
सांस्कृतिक और धार्मिक मान्यताएँ
भारत सहित कई देशों में चंद्र ग्रहण को लेकर अलग-अलग लोककथाएँ और ज्योतिषीय मान्यताएँ हैं:
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कई जगह ग्रहण को अशुभ माना जाता है, इसी कारण सूतक काल में भोजन, पूजा आदि से बचा जाता है।
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माया सभ्यता में मान्यता थी कि इक चीता आकर चाँद का खून पीता है, इसी कारण ब्लड मून होता है।
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यूरोप में भेड़िए जैसी कथाएँ हैं कि दो राक्षस ग्रहण के समय चाँद को निगलने की कोशिश करते हैं।
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भारत में ग्रहण के समय तुलसी, पानी से भरी बोतलें, पूजा आदि करने की परंपराएँ भी हैं।
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विज्ञान के अनुसार, चंद्र ग्रहण एक स्वाभाविक खगोलीय घटना है, जिसका शुभ-अशुभ से कोई संबंध नहीं।
आधुनिक विज्ञान और चंद्रग्रहण
विज्ञान के हिसाब से चंद्रग्रहण और ब्लड मून, दोनों में कोई डरने वाली बात नहीं होती।
ये दोनों घटनाएँ ब्रह्मांड की खूबसूरत क्रियाओं का हिस्सा हैं, जिस पर नियंत्रण या रोक लगाना संभव नहीं है।
यह अनुभव हमें पृथ्वी और ब्रह्मांड के बीच जुड़ाव का बोध कराता है।
चंद्र ग्रहण पर वैज्ञानिक रिसर्च और खोज
अंतरिक्ष वैज्ञानिक, खगोलज्ञ, और एस्ट्रोनॉमर्स हर चंद्रग्रहण पर शोध करते हैं ताकि चाँद, पृथ्वी और वायुमंडल के बारे में और जानकारी मिल सके।
पृथ्वी के वातावरण की स्थिति, प्रदूषण, धूल आदि के कारण चाँद के रंग में बदलाव देखे जा सकते हैं, जिससे वायुमंडल की भी जानकारी मिलती है।
निष्कर्ष
चंद्र ग्रहण और ब्लड मून न केवल खगोल विज्ञान के लिहाज से रोचक घटनाएँ हैं, बल्कि विश्व के अलग-अलग हिस्सों में इसका सांस्कृतिक और धार्मिक महत्त्व भी है।
प्रकृति के इन नजारों को डर के बजाय उत्सुकता और वैज्ञानिक नजर से देखना अधिक फलदायक है।
अगली बार जब आसमान में तांबे या लाल रंग का बड़ा-सा गोल चाँद दिखे, तब जानिए, आप एक दुर्लभ खगोलीय तमाशे के साक्षी बन रहे हैं—चंद्र ग्रहण और ब्लड मून